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दिल के चंद एहसास



दूरी महबूब की हमें, जीने नहीं देती
मजबूरी प्यार की, पास आने नहीं देती।।
यादों के सहारे देखते हैं सपना, कि नींद आ जाए
पर कमबख्त सपने हैं, कि नींद आने नहीं देते।। 



----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---

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8 Comments

Gunjan Kamal

07-Oct-2022 01:18 PM

बहुत ही सुन्दर

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Behtarin rachana

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Anshumandwivedi426

27-Aug-2022 07:30 AM

लाजवाब लाजवाब भाई

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